क्या आपको पता है?
कि आप जो रोज बाजार मॉल और स्टॉल मैं मिलने वाले पोटैटो चिप्स के पैकेट को खाते हो उसमें आपके साथ धोखा किया जा रहा है यह आपकी सेहत को बिगाड़ सकता है स्वाद के नाम पर MSG मिलाया जा रहा है अगर आपको इसके पीछे के पूरी साइंस को समझना है तो बने रहिए हमारे साथ वीडियो के एंड तक क्योंकि आज की वीडियो में हम बंद पैकेट के पीछे की पूरी सच्चाई को जानने वाले हैं।
दोस्तों हम में से शायद ही कोई ऐसा इंसान हो जो चिपस मिलने पर मना कर दे दोस्तों वैसे तो हम सभी बाजारों में मिलने वाले चिप्स जैसे खाद पदार्थ का सेवन करते हैं । लेकिन हम इसके पैकेट पर लिखें nutrition को पढ़े बिना ही खाने लगते हैं। लेकिन जब आप इनके पैकेट पर लिखे nutrition को ध्यान से पढ़ोगे तो आपको उनमें MSG लिखा मिलेगा इस एमएसजी का मतलब राम रहीम की मैसेंजर ऑफ गॉड नहीं है बल्कि इसका मतलब monosodium glutamate इसका उपयोग खाद्य पदार्थों के स्वाद को बढ़ाने के लिए किया जाता है लेकिन इससे आप बीमार भी हो सकते हैं वैसे तो plane चिप्स में कम MSG की मात्रा होती है लेकिन फ्लवर्ड चिप्स में इसकी मात्रा ज्यादा होती है जिसे मीट उद्योग में वेस्ट के रूप में बचे सूअर की चर्बी से बनाया जा रहा है।
अब आप सोच रहे होंगे कि यह एम एस जी क्या है और इसके नुकसान कसान क्या है? और यह कैसे बनता है ? तो चलिए जानते हैं:-
मोनोसोडियम ग्लूटामैट जिसे सोडियम ग्लूटामेट भी कहते है इसका सर्वप्रथम खोज जापान के प्रोफेसर किकुनेई इकेडा ने 1908 में किया था ।
बनाने की विधि-
वैसे तो इसे गन्ना और अन्य खाद्य पदार्थों को मिला का भी बनाया जा सकता है लेकिन मल्टीनेशनल कंपनी ज्यादा प्रॉफिट के चक्कर में मीट उद्योग के वेस्ट में बचे सूअर की चर्बी से बनाते हैं जो कि बहुत सी बीमारियों का कारण है।
वैसे तो इसे गन्ना और अन्य खाद्य पदार्थों को मिला का भी बनाया जा सकता है लेकिन मल्टीनेशनल कंपनी ज्यादा प्रॉफिट के चक्कर में मीट उद्योग के वेस्ट में बचे सूअर की चर्बी से बनाते हैं जो कि बहुत सी बीमारियों का कारण है।
इसके साइड इफेक्ट और बीमारियां: (fast food effect on health)
जैसे सर दर्द कि तकलीफ होना
चक्कर आना
छाती, कमर और गर्दन में दर्द की शिकायत होना।
चक्कर आना
छाती, कमर और गर्दन में दर्द की शिकायत होना।
एक विदेशी मैगजीन के अनुसार 1995 में यूरोप में बीमारियों के पीछे का सबसे बड़ा कारण एमएसजी को ही बताया था।
अब आप सोच रहे होंगे कि क्यों कोई इसका विरोध नहीं कर रहा है । तो हम आपको बताते हैं कि कुछ वर्षों पहले है पाकिस्तान में इसको लेकर हंगामा किया था जिस कारण इसे बहुत से देशों में बैन कर दिया गया था और अमेरिका यूके जैसे डेवलप्ड कंट्री इसको लेकर बहस किया गया जिसके कारन कंपनियों ने इसका इस्तेमाल बंद कर दिया और बड़े बड़े अक्षरों में लिखा होता था NO MSG लेकिन मल्टीनेशनल कंपनियां बहुत चलाक होती हैं उन्होंने इसका नाम बदलकर E631 कर दिया और फिर से इसे बेचने लगे इसका नाम ऐसे संकेत में रखा गया है जिसे सिर्फ इसे बनाने वाली कंपनी की जाने सके ताकि कोई इसे भी ना बंद कर दे।
अब आप सोच रहे होंगे कि क्यों कोई इसका विरोध नहीं कर रहा है । तो हम आपको बताते हैं कि कुछ वर्षों पहले है पाकिस्तान में इसको लेकर हंगामा किया था जिस कारण इसे बहुत से देशों में बैन कर दिया गया था और अमेरिका यूके जैसे डेवलप्ड कंट्री इसको लेकर बहस किया गया जिसके कारन कंपनियों ने इसका इस्तेमाल बंद कर दिया और बड़े बड़े अक्षरों में लिखा होता था NO MSG लेकिन मल्टीनेशनल कंपनियां बहुत चलाक होती हैं उन्होंने इसका नाम बदलकर E631 कर दिया और फिर से इसे बेचने लगे इसका नाम ऐसे संकेत में रखा गया है जिसे सिर्फ इसे बनाने वाली कंपनी की जाने सके ताकि कोई इसे भी ना बंद कर दे।
और हमारे देश में E631 के रूप में सूअर की चर्बी परोस रहे हैं। धड़ल्ले से स्वाद के नाम पर इस बीमारी को फैलाया जा रहा है।
और इसका इस्तेमाल यहीं तक सीमित नहीं है दोस्तो बल्कि इसका इस्तेमाल जैसे :-
toothpaste, noodle ,chewingum chocolate biscuite sweets और कई multivitamin medicine में भी E631 के रूप में सूअर की चर्बी का इस्तेमाल किया जाता है|
जैसा कि हम जानते हैं कि सूअर में सभी जानवरों के मुकाबले है ज्यादा चर्बी पाया जाता है।
पहले तो मीट उद्योग से बचे सूअर की चर्बी को जला दिया जाता था लेकिन कुछ मल्टीनेशनल कंपनियों ने दिमाग लगाया और इसका इस्तेमाल साबुन बनाने में करने लगे जब यह फार्मूला काम कर गया तो उन्होंने इसका इस्तेमाल खाद पदार्थों में करना शुरू कर दिया और आज भी हमारे देश में स्वाद के नाम पर इस बीमारी को फैलाया जा रहा है।
पहले तो मीट उद्योग से बचे सूअर की चर्बी को जला दिया जाता था लेकिन कुछ मल्टीनेशनल कंपनियों ने दिमाग लगाया और इसका इस्तेमाल साबुन बनाने में करने लगे जब यह फार्मूला काम कर गया तो उन्होंने इसका इस्तेमाल खाद पदार्थों में करना शुरू कर दिया और आज भी हमारे देश में स्वाद के नाम पर इस बीमारी को फैलाया जा रहा है।
वैसे तो हम इन चीजों का इस्तेमाल बंद नहीं कर सकते तो करें क्या तो उसका जवाब हम आपको बताते हैं कि आप जब भी chips noodles toothpaste chewing gum और जो भी खाने की चीज खरीदने जाएं तो इनके पैकेट पर लिखे nutrition को अच्छी तरीके से देख ले। और आपको कहीं भी MSG E631 या E620 लिखा मिले तो समझ लीजिए आपको वही मिलने वाला है जो आपने इस article में देखा है तो उस प्रोडक्ट को ना खरीदें जितना हो सके अपने घर के बने हुए स्नेक्स और चिप्स का ही सेवन करे|
तो दूसरों की भी केयर कीजिए और इस वीडियो को शेयर कीजिए और कॉमेंट कर के बताएं कि इस चीज को बंद करना चाहिए या नहीं और ऐसे ही मिस्टीरियस वीडियो के लिए चैनल को सब्सक्राइब कर लीजिए।